क्यों टाइम आउट दिए गए मैथ्यूज:बैटिंग में देरी की तो शाकिब ने की अपील, जानिए आउट होने के सभी 10 नियम

बांग्लादेश और श्रीलंका के बीच सोमवार को दिल्ली में खेला जा रहा वर्ल्ड कप मुकाबला एक खास घटना के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। श्रीलंका की पारी के दौरान एंजेलो मैथ्यूज को टाइम आउट दिया गया। इंटरनेशनल क्रिकेट में यह पहला मौका है जब कोई बल्लेबाज टाइम आउट हुआ है।

मैथ्यूज श्रीलंका का चौथा विकेट गिरने के बाद बल्लेबाजी के लिए आए थे, लेकिन उन्होंने स्ट्राइक लेने में 2 मिनट से ज्यादा का समय ले लिया। इस बीच बांग्लादेशी कप्तान शाकिब अल हसन ने टाइम आउट की अपील कर दी और अंपायर ने मैथ्यूज को आउट करार दे दिया।

आगे हम इस घटना को विस्तार से जानेंगे। टाइम आउट के नियम को भी समझेंगे और यह भी देखेंगे कि क्रिकेट में आउट होने के कितने तरीके होते हैं।

पहले जानिए कैसे टाइम आउट हुए मैथ्यूज
श्रीलंका की पारी के 25वें ओवर में सदीरा समरविक्रमा का विकेट गिरने के बाद एंजेलो मैथ्यूज ग्राउंड पर आए। वे बैटिंग के लिए तैयार हो रहे थे, तभी उनके हेलमेट का स्ट्रैप टूट गया। ऐसे में उन्होंने दूसरा हेलमेट मंगाया। जब तक ड्रेसिंग रूम से हेलमेट आता और मैथ्यूज खेलने उतरते, 2 मिनट का समय निकल गया था।

बांग्लादेश के कप्तान शाकिब अल हसन ने अंपायर से मैथ्यूज को आउट देने की अपील की। अंपायर ने शाकिब से पूछा भी कि वे ऐसा मजाक में कर रहे हैं या वाकई अपील कर रहे हैं। शाकिब अपील पर कायम रहे और मैथ्यूज को आउट करार दे दिया गया।

क्या कहता है नियम
क्रिकेट के नियम बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के मुताबिक टेस्ट क्रिकेट में अगर कोई बल्लेबाज पिछला विकेट गिरने के 3 मिनट बाद तक खेलने के लिए तैयार नहीं होता है तो विपक्षी टीम की अपील पर उसे आउट दिया जा सकता है। वनडे क्रिकेट में यह समय 2 मिनट का है और टी-20 में 90 सेकेंड का है। विकेट बॉलर के खाते में नहीं जाता है।

शाकिब की अपील के पीछे लॉजिक क्या
टाइम आउट भले ही नियमों के तहत आता है, लेकिन इसके लिए अपील करना आमतौर पर खेल भावना के विपरीत माना जाता है। इंटरनेशनल क्रिकेट में पहले भी ऐसे वाकये हुए हैं, जब फील्डिंग कप्तान अपील कर सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। ऐसे में सवाल उठता है कि शाकिब ने अपील क्यों की। इसके पीछे तीन वजहें हो सकती हैं।

मैच जीतना: शाकिब की टीम ने वर्ल्ड कप में अब तक एक ही मैच जीता है। ऐसे में एक और मुकाबला अपने नाम करने के दबाव में शाकिब किसी भी हद से गुजरने के लिए तैयार हुए।
श्रीलंका से राइवलरी: बांग्लादेश और श्रीलंका के बीच 2018 से ऑनग्राउंड राइवलरी चल रही है। तब निदाहास ट्रॉफी में बांग्लादेश के मुश्फिकुर रहीम ने श्रीलंका के खिलाफ 35 गेंदों में नाबाद 72 रनों की पारी खेलने के बाद नागिन डांस किया था। इसे श्रीलंका की टीम को चिढ़ाने के लिए की गई हरकत बताया गया। बाद में एशिया कप में जब श्रीलंका ने बांग्लादेश को हराया, तब श्रीलंकन प्लेयर्स ने भी नागिन डांस किया।
चैंपियंस ट्रॉफी का दबाव: 2025 की चैंपियंस ट्रॉफी में शामिल होने वालीं 8 टीमें इसी वर्ल्ड कप से तय होंगी। वर्ल्ड कप में लीग स्टेज खत्म होने के बाद पॉइंट्स टेबल में जो टीमें टॉप-8 में रहेंगी, वह पाकिस्तानी की मेजबानी में टूर्नामेंट खेलेंगी। पाकिस्तान मेजबान होने के कारण पहले से क्वालिफाई कर चुका है। टॉप-8 में बने रहने के लिए दोनों टीमों के लिए यह मुकाबला जीतना जरूरी है।

क्रिकेट में आउट होने का एक 11वां तरीका भी है, लेकिन इसमें बल्लेबाज खुद की मर्जी से आउट होता है। इसे रिटायर्ड आउट कहा जाता है। प्लेयर अपनी मर्जी से या बिना चोटिल हुए क्रीज छोड़कर जाता है तो वह रिटायर्ड आउट कहलाता है।

1919 में पहली बार काउंटी क्रिकेट में टाइम आउट हुआ बल्लेबाज
सबसे पहले 1919 में टाइम आउट के तहत आउट दिया गया था। टाउनटंस काउंटी ग्राउंड में प्लेयर हेरॉल्ड हेगेट इस नियम के तहत आउट होने वाले पहले बल्लेबाज बने थे। हालांकि यह 1980 में क्रिकेट कोड में शामिल किया गया था। तब बल्लेबाज को 2 मिनट का टाइम मिलता था। साल 2000 के बाद से इसे टेस्ट में 3 मिनट, वनडे में 2 मिनट और टी-20 में 90 सेकेंड कर दिया गया।

MCC बनाता है क्रिकेट के नियम
क्रिकेट के नियम मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) नाम की संस्था बनाती है। यही संस्था समय-समय पर नियमों में बदलाव भी करती है। यह 1787 में बनी थी। 1814 में लॉर्ड्स में इसका हेड ऑफिस बना। 1993 में MCC के एडमिनिस्ट्रेटिव और गवर्नेंस कामों को ICC को सौंप दिया गया। अब MCC के पास सिर्फ नियमों और उससे संबंधित काम ही बचा है।

MCC में 18 हजार फुल मेंबर और 5 हजार एसोसिएट मेंबर हैं। किसी भी नियम में बदलाव के लिए दो तिहाई सदस्यों की अनुमति जरूरी होती है। संस्था नए नियम बनाने से पहले उनसे और अंपायर्स, स्कोरर और प्लेयर्स कमेटी से राय लेती है। सब की सहमति के बाद संस्था ICC को प्रस्ताव भेजती है। फिर ICC की चीफ एग्जीक्यूटिव्स कमेटी की मीटिंग में इसे मंजूरी दी जाती है

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