अब PF पर मिलेगा 8.25% ब्याज:2023-24 के लिए 0.10% बढ़ाया, 1 लाख जमा पर ₹8,250 इंटरेस्ट मिलेगा

अब एम्प्लॉईज प्रोविडेंट फंड (EPF) अकाउंट में जमा राशि पर 8.25% ब्याज मिलेगा। एम्प्लॉईज प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने आज यानी शनिवार (10 फरवरी) को अपनी 235वीं बैठक में इसकी सिफारिश की है। सरकार की मंजूरी के बाद यह लागू हो जाएगा।

श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज यानी (शनिवार, 10 फरवरी) इस बात की जानकारी दी है। नई दरें लागू हो जाने के बाद अगर आपके EPF अकाउंट में 1 लाख रुपए जमा हैं, तो इस पर साल में 8,250 रुपए का ब्याज मिलेगा।केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने लिखा, ‘EPFO की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने 235वीं बैठक में आज 2023-24 के लिए एंप्लॉइज प्रोविडेंट फंड जमा पर 8.28% इंटरेस्ट रेट की सिफारिश की है।’
पिछले साल 8.15% ब्याज तय किया था
EPFO ने पिछले साल मार्च में इसे 8.15% तय किया था। देश के 6 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी PF के दायरे में आते हैं। EPFO एक्ट के तहत कर्मचारी की बेसिक सैलरी प्लस DA का 12% PF अकाउंट में जाता है।

कंपनी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी प्लस DA का 12% कॉन्ट्रिब्यूट करती है। कंपनी के 12% कॉन्ट्रीब्यूशन में से 3.67% PF अकाउंट में जाता है और बाकी 8.33% पेंशन स्कीम में जाता है।

1952 में 3% ब्याज से शुरुआत हुई थी
1952 में PF पर ब्याज दर केवल 3% थी। हालांकि, इसके बाद इसमें बढ़ोतरी होती गई। पहली बार 1972 में यह 6% के ऊपर पहुंची। 1984 में यह पहली बार 10% के ऊपर पहुंची। PF धारकों के लिए सबसे अच्छा समय 1989 से 1999 तक था।

इस दौरान PF पर 12% ब्याज मिलता था। इसके बाद ब्याज दर में गिरावट आनी शुरू हो गई। 1999 के बाद ब्याज दर कभी भी 10% के करीब नहीं पहुंची। 2001 के बाद से यह 9.50% के नीचे ही रही है। पिछले सात सालों से यह 8.5% या उससे कम रही है।

यहां समझें PF पर अब कितना ज्यादा मिलेगा ब्याज
मान लीजिए आपके PF अकाउंट में 5 लाख रुपए जमा हैं। ऐसे में अगर 8.15% की दर से ब्याज मिलता तो 5 लाख पर 40,750 रुपए ब्याज के रूप में मिलते। लेकिन, अब ब्याज दर बढ़कर 8.25% होने से आपको 5 लाख पर 41,250 रुपए ब्याज के रूप में मिलेंगे।

फाइनेंशियल ईयर के आखिर में तय होती है ब्याज दर
PF में ब्याज दर के फैसले के लिए सबसे पहले फाइनेंस इन्वेस्टमेंट एंड ऑडिट कमेटी की बैठक होती है। यह इस फाइनेंशियल ईयर में जमा हुए पैसों के बारे में हिसाब देती है। इसके बाद CBT की बैठक होती है। CBT के निर्णय के बाद वित्त मंत्रालय सहमति के बाद ब्याज दर लागू किया जाता है। ब्याज दर का निर्णय फाइनेंशियल ईयर के आखिर में होता है।

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