आपका बटुआ- तंबाकू बेचने के बहिष्कार से आया ये फंड:ESG में लॉन्ग टर्म निवेश से बेहतरीन रिटर्न, धरती बचाने में मददगार

एक चीनी लोककथा है। चीन के किसी गांव में एक 98 साल का बूढ़ा रहता था। एक दिन वह अपने खेतों में अखरोट के पौधे रोप रहा था। उसी वक्त चीन का एक राजा वहां से गुजरा। उसने बूढ़े को अखरोट का पेड़ लगाते देखा तो जोर-जोर से हंसने लगा और कहा-ये बूढ़ा वाकई में कितना पागल है? कितना अजीब है ये?

इस पर बूढ़े ने कहा कि राजा आपको इसमें हंसने या पागलपन वाली क्या बात लगी? मैं तो बस पेड़ लगा रहा हूं। राजा ने कहा-मूर्ख बूढ़े, क्या तुम्हें यह नहीं पता है कि जिस अखरोट का पौधा तुम लगा रहे हो, उसमें फल आने में 25-30 साल लगेंगे और तब तक तुम इन फलों को खाने के लिए जीवित भी नहीं रहोगे। ऐसे में इस पौधे को लगाने का क्या फायदा? तब बूढ़े ने जवाब दिया-राजा आप ये जो बाग देख रहे हैं, वो हमारे पुरखों ने लगाए थे। जिनके फलों को मैंने और मेरे परिवार ने जी-भरकर पूरी उम्र खाया। अब ये हमारा दायित्व है कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी ऐसे फलदार पेड़ लगाएं। तभी तो उन्हें भी ऐसे फल खाने को मिलेंगे। राजा यह जवाब सुनकर निरूत्तर रह गया और अपने बर्ताव के लिए उसने उस बूढ़े से माफी भी मांगी।

दरअसल, बूढ़ा जो काम कर रहा था, वही ESG फंड है। यानी ऐसे प्रोडॅक्ट में निवेश करना जो हमें पैसों से फायदा तो दे ही, साथ में हमारे पर्यावरण को भी हरा-भरा बनाने में योगदान दे। धरती को बचाने का सतत विकास कॉन्सेप्ट भी तो यही है।

आज आपका बटुआ में फाइनेंशियल एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी से इसी ESG पर बात करेंगे और समझेंगे कि ये क्या चीज है? आपको इसमें किस तरह से निवेश करना चाहिए?

सबसे पहले ये समझते हैं कि ESG क्या है

ESG का मतलब पर्यावरण (Environment), सामाजिक (Social) और शासन (Governance) है। इसे अक्सर स्थिरता कहा जाता है। ऐसे फंड्स को ्ग्रीन फंड्स भी कहा जाता है।

व्यावसायिक संदर्भ में, स्थिरता किसी भी कंपनी के व्यवसायिक मॉडल के बारे में है। यानी किसी भी कंपनी के प्रोडॅक्ट और सर्विसेज सतत विकास में किस तरह से योगदान करते हैं।

कुल मिलाकर ESG फंड्स में निवेश करने वाले निवेशक उन कंपनियों में निवेश नहीं करते हैं जो तंबाकू, शराब और जुआ जैसे सामाजिक, पर्यावरणीय और सुशासन के हिसाब से हानिकारक प्रोडॅक्ट्स और सर्विसेज मुहैया करते हैं।

भारत में ESG फंड्स का मार्केट 7.5% सालाना के हिसाब से बढ़ रहा है। 2021 तक यह मार्केट 2124 करोड़ रुपए हो चुका था, जिसके 2030 तक और ज्यादा होने की संभावना है।

अभी फिलहाल, दुनिया में सबसे बड़ा ESG फंड्स का मार्केट यूरोप है। अमेरिका जैसे विकसित देश में ऐसे फंड्स पर ध्यान दे रहे हैं।

तंबाकू, शराब बेचने वाली कंपनियों के शेयरों के बहिष्कार से शुरू हुआ ग्रीन फंड

1960 के दशक की बात है, जब ESG को सोशयली रेस्पॉन्सिबल इन्वेस्टिंग कहा जाता था। इस दौरान यह सोचा गया कि कोई भी कारोबार बेहद नैतिकता के साथ किया जाना चाहिए।

उस वक्त तंबाकू उत्पादन करने वाली कंपनियों या उसका समर्थन करने वाली दक्षिण अफ्रीकी कंपनियों के शेयरों का बहिष्कार किया जाने लगा।

लोगों ने अपने पोर्टफाेलियो से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली इंडस्ट्रीज से किनारा करना शुरू कर दिया। यहीं से ESG फंड्स में निवेश की शुरुआत हुई।

ग्रीन एनर्जी जैसी कंपनियां लोगों के लिए पसंदीदा निवेश बनने लगीं। ऐसे निवेशक अपने पोर्टफोलियो पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की कोशिश करने लगे।

भारत में पेरिस समझौते से ग्रीन इकोनॉमी की शुरुआत

भारत में ESG फंड्स में निवेश की शुरुआत 2015 में पेरिस समझौते से शुरू हुई। इसके तहत 2015 से 2030 के बीच ग्रीन इकोनॉमी बनने के लिए 2.08 करोड़ लाख रुपए खर्च करने की योजना है।

संयुक्त राष्ट्र ने ESG शब्द किया ईजाद

2015 में ही काॅर्बन डिस्क्लोजर प्रोजेक्ट का गठन हुआ। इससे पहले 2004 में यूनाइटेड नेशंस ग्लोबल कॉम्पेक्ट ने ESG शब्द ईजाद किया। 2004 में ही ESG शब्द को आधिकारिक दर्जा मिला। एक रिपोर्ट आई-‘हू केयर्स विन्स’। इसी रिपोर्ट में ESG का जिक्र पहली बार विस्तार से हुआ।

ESG फंड में निवेश से जुड़े जोखिम

बेहतर रिटर्न न दे पाने का जोखिम: ESG फंड पर्यावरण, सामाजिक और सुशासन जैसे फैक्टर्स की वजह से मजबूत रुख वाली कंपनियों पर फोकस करते हैं, जो लॉन्ग टर्म में तो अच्छा हो सकता है, मगर शॉर्ट टर्म में वो शायद ही बेहतर रिर्टन दे पाएं।

विविधता की गुंजाइश कम: ESG फंड खास तरह की अक्षय ऊर्जा जैसी इंडस्ट्री या सेक्टर पर फोकस सकते हैं, जिनमें विविधता की गुंजाइश कम होती है। अगर ये इंडस्ट्री फेल हो जाती है तो इसमें पैसे लगाने वाले निवेशकों का रिटर्न भी प्रभावित हो सकता है।

नियमों में बदलाव से प्रभावित: ESG फंड जिन ग्रीन कंपनियों में लगाए जाते हैं, वहां अगर कोई भी सरकारी नियमों और विनियमों में बदलाव होते हैं तो उससे बहुत प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे में सरकार द्वारा नियमों में कोई भी बदलाव निवेशकों के रिटर्न पर भी पड़ता है।

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर आप ESG फंड्स में निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो आपको सबसे पहले ये देखना चाहिए कि क्या वो कंपनी निफ्टी-50 में रजिस्टर्ड है या नहीं।

ऐसी कंपनियों का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा रहा है? क्या ये कंपनियां अच्छा रिटर्न देती रही हैं? और सबसे बड़ी बात यह है कि अगर आप ऐसी कंपनियों में निवेश कर भी रहे हैं तो आपको लॉन्ग टर्म में निवेश करना चाहिए, ताकि आपको फायदा हो सके। साथ ही यह भी कि आपको यह निवेश करके अपनी धरती को बचाने में योगदान कर रहे हैं।

 

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