मोदी का विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान का तीसरा दिन:सूर्य को अर्घ्य दिया, भगवा वस्त्र में रुद्राक्ष की माला जपते, कॉरिडोर में बैठे दिखाई दिए
PM नरेंद्र मोदी का शनिवार ( 1 जून) को कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान का तीसरा दिन है। आज सूर्योदय के समय मोदी ने सूर्य को अर्घ्य दिया। ध्यान मंडपम की परिक्रमा की। आज की तस्वीरों में मोदी रुद्राक्ष की माला जपते, ध्यान मंडपम के कॉरिडोर में बैठे और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को नमन करते दिखाई दिए। वे आज शाम विवेकानंद रॉक मेमोरियल से बाहर आएंगे।
मोदी 30 मई को यहां पहुंचे थे। 31 मई (शुक्रवार) को ध्यान के दूसरे उनकी ध्यान की तस्वीरें सामने आईं थीं। वे भगवा चोला, हाथ में रुद्राक्ष की माला और माथे पर तिलक लगाए दिखे थे।सुबह उन्होंने सूर्य को अर्घ्य दिया, मंदिर की परिक्रमा की और ध्यान मुद्रा में बैठे।
PM गुरुवार शाम जब कन्याकुमारी पहुंचे थे तो सबसे पहले उन्होंने भगवती देवी अम्मन मंदिर में दर्शन-पूजन किया। पूजा के दौरान मोदी ने सफेद मुंडु (दक्षिण भारत का एक परिधान) और शॉल पहना था। पुजारियों ने उनसे विशेष आरती कराई। प्रसाद, शॉल और देवी की तस्वीर दी।
कांग्रेस ने ध्यान के खिलाफ लगाई याचिका
मोदी के ध्यान के खिलाफ तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की विवेकानंद रॉक यात्रा पर कोई आपत्ति नहीं कर सकता है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के 7वें फेज के कूलिंग पीरियड के दौरान उनकी यात्रा हिंदू भावनाओं को भड़काने और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके वोट हासिल करने की कोशिश है। इसलिए इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
उधर, मोदी के कन्याकुमारी दौरे को लेकर एक संगठन थंगथाई पेरियार द्रविड़र कड़गम ने गुरुवार को मदुरै में प्रधानमंत्री के विरोध में काले झंडे दिखाए। इसी संगठन ने X पर #गोबैकमोदी (मोदी वापस जाओ) पोस्ट किया है।
ध्यान यात्रा करने पर चुनावी कानून के तहत कोई रोक नहीं
चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री की ध्यान यात्रा करने पर चुनावी कानून के तहत कोई रोक नहीं है। चुनाव आयोग ने इसी तरह की अनुमति 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी पीएम को दी थी।
जानकार सूत्रों ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 का हवाला दिया। इसमें मौन अवधि (साइलेंट पीरियड) के दौरान सार्वजनिक बैठकों या जनता के बीच चुनावी प्रचार और प्रदर्शन पर रोक का उल्लेख है।
साइलेंट पीरियड मतदान प्रचार खत्म होने से वोटिंग खत्म होने तक का समय होता है। जानकारों के मुताबिक, इस कानून में वह क्षेत्र ही आता है, जहां वोटिंग होना है।
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