प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में छात्रों से परीक्षा के दौरान तनाव मुक्‍त रहने को कहा।

रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने छात्रों से परीक्षा के दौरान तनावमुक्‍त रहने का आह्वान किया है और कहा है कि यह जीवन मरण का मामला नहीं है। प्रधानमंत्री ने आज आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम

में राष्‍ट्र के नाम संदेश में कहा कि परीक्षा बोझ नहीं बल्‍कि एक अवसर है।

श्री मोदी ने अध्‍यापकों को सलाह दी कि परीक्षाओं के साथ साल में परीक्षाओं को केन्‍द्र में रखकर ऐसे आयोजन किये जायें जिसमें व्‍यंग्‍य, कार्टून, और विचार-विमर्श शामिल हों।

मैं शिक्षक मित्रों से कहना चाहता हूं कि क्‍या हम साल में दो बार हर टर्म में एक वीक का परीक्षा उत्‍सव नहीं मना सकते , जिसमें परीक्षा पर व्‍यंग्‍य काव्‍यों का कवि सम्‍मेलन हो। कभी ऐसा नहीं हो सकता परीक्षा पर कार्टून स्‍पर्धा हो परीक्षा के ऊपर निबंध स्‍पर्धा हो परीक्षा पर वक्‍तोतव प्रतिस्‍पर्धा हो, परीक्षा के मनोवैज्ञानिक परिणामों पर कोई आकर के हमें लेक्‍चर दे, डिबेट हो, ये परीक्षा का हव्‍वा अपने आप खतम हो जाएगा, एक उत्‍सव का रूप बन जाएगा।

प्रधानमंत्री ने सभी माता-पिता को भी सावधानी बरतने की सलाह दी। उन्‍होंने कहा कि अपने बच्‍चों की अन्‍य बच्‍चों के साथ तुलना नहीं करें। इससे बच्‍चों में दबाव बढ़ता है। उन्‍होंने पोल वॉल्‍ट के खिलाड़ी सर्गेई बुबका का उदाहरण दिया और कहा कि किसी को भी अपने आप से प्रतिस्‍पर्धा करनी चाहिए और दूसरों की सफलता को पैमाना नहीं मानना चाहिए। सर्गेई बुबका ने 35 बार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा था।

हम हमेशा अपनी प्रगति किसी और की तुलना में ही नापने के आदी होते हैं। हमारी पूरी शक्ति प्रतिस्‍पर्धा में खप जाती है, जीवन के बहुत क्षेत्र होंगे जिनमें प्रतिस्‍पर्धा जरूरी होगी लेकिन स्‍वयं के विकास के लिए तो प्रतिस्‍पर्धा उतनी प्रेरणा नहीं देती हैं। जितनी की खुद के साथ हर दिन प्रतिस्‍पर्धा करते रहना। खुद के साथ ही प्रतिस्‍पर्धा कीजिए,

प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि उन्‍हें वरियर नहीं बल्‍कि वॉरियर बनना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों को अपनी क्षमताओं पर संदेह नहीं करना चाहिए और छात्रों को जीवन की ऊंचाइयां छूने के लिये अपनी क्षमताओं को जानना चाहिए।

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