पार्थिव ने अपने नेतृत्व में गुजरात को पहली बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन बनाकर इतिहास रचा
भारतीय क्रिकेट में मुंबई का वर्षों से दबदबा रहा है और यदि कोई बल्लेबाज लगातार उनके खिलाफ रन बनाता है तो इसे काबिलेतारीफ माना जाना चाहिए। पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर और गुजरात के कप्तान पार्थिव पटेल ऐसे ही एक खिलाड़ी है जिन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मुंबई के खिलाफ किया है।
पार्थिव ने अपने नेतृत्व में गुजरात को पहली बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन बनाकर इतिहास रचा, वह भी 41 बार के चैंपियन मुंबई को हराकर। गुजरात छह दशक के बाद फाइनल में पहुंचा था और पार्थिव द्वारा दोनों पारियों की गई धमाकेदार बल्लेबाजी के दम पर उसने गत विजेता मुंबई को हार झेलने के लिए मजबूर किया।
पार्थिव पहली पारी में शतक से मात्र 10 रन से चूके, लेकिन उन्होंने अपनी टीम को पहली पारी में बढ़त दिलवाकर मनोवैज्ञानिक लाभ हासिल कर लिया। पार्थिव ने पहली पारी की कमी को दूसरी पारी में पूरा किया जब उन्होंने मैच विजयी शतकीय पारी खेली। 312 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए गुजरात 89 रनों पर 3 विकेट गंवाकर मुश्किल में दिख रहा था, लेकिन पार्थिव ने शतक लगाते हुए अपनी टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई। उन्होंने 143 रनों की पारी खेली।
मात्र 17 साल की उम्र में 2002 में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण करने वाले इस कम ऊंचाई के गुजराती क्रिकेटर का जज्बा अभी भी कायम है। 2016 में 8 वर्षों के अंतराल के बाद उन्होंने टीम इंडिया में वापसी की थी और अब अपने राज्य को पहली बार रणजी चैंपियन बनाकर उन्होंने साबित कर दिया कि अभी उनमें काफी क्रिकेट बाकी है और टीम इंडिया उनकी पहुंच से दूर नहीं है।
मुंबई के खिलाफ दबदबा : पार्थिव ने इस मैच में शतक लगाया, यह उनका मुंबई के खिलाफ प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पांचवां शतक है। वे अन्य किसी भी टीम के खिलाफ दो से ज्यादा शतक नहीं लगा पाए हैं।
फिफ्टी प्लस स्कोर भी मुंबई के खिलाफ सबसे ज्यादा: यदि प्रथम श्रेणी मैचों में 50 प्लस (50 से ज्यादा रन) स्कोर की बात की जाए तो पार्थिव ने इस मामले में भी मुंबई के खिलाफ ही सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। पार्थिव ने प्रथम श्रेणी मैचों में मुंबई के खिलाफ 10 बार 50 प्लस स्कोर किया है। उनका दूसरा बेहतर प्रदर्शन रेलवे के खिलाफ रहा, जिसके खिलाफ उन्होंने 7 बार 50 से ज्यादा का स्कोर किया।
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