दुनिया के शीर्ष गोल्फरों में भारत के शिवशंकर प्रसाद चौरसिया
संघर्ष कर शिखर तक पहुंचे भारत के शिवशंकर प्रसाद चौरसिया की गिनती आज दुनिया के शीर्ष गोल्फरों में होती है। वे कभी गोल्फ खिलाड़ी के कैडी (बैग संभालने वाला) हुआ करते थे।
5 साल तक वे यही काम करते रहे। बेहद महंगे खेल में एसएसपी का आना भी एक महज संयोग ही है। आर्थिक परेशानियों के बीच पिता गोल्फ मैदान को संवारने का कार्य किया करते थे।
38 साल की उम्र में लगातार दूसरा इंडियन ओपन खिताब जीतकर दूसरे भारतीय गोल्फर बने एसएसपी आज फिर सुर्खियों में हैं।
गोल्फ की दुनिया में अपने प्रशंसकों के बीच एसएसपी के नाम से मशहूर इस खिलाड़ी का जन्म 15 मई 1978 को कोलकाता में हुआ।
पिता सिमतनी प्रसाद रॉयल कलकत्ता गोल्फ क्लब में ग्रीनकीपर के रूप में मैदान को संवारने का कार्य किया करते थे। कभी-कभी पिता के साथ बेटे एसएसपी भी साथ हो लेते थे।
जब पिता अपने कार्य में व्यस्त होते थे तो एसएसपी गोल्फरों को पीछे खड़ा होकर देखा करते थे। यह सिलसिला कुछ दिन चलने के बाद उनकी भी इच्छा खेलने की जागी।
आर्थिक तंगी के चलते पिता चाहते थे कि वह गोल्फ की बजाय मैदान में उनका सहयोग करें। पहले कैडी बने फिर गोल्फर।
एसएसपी ने हालांकि महज 10 साल की उम्र में पहली बार गोल्फ की स्टिक पकड़ी। लेकिन गोल्फ के मैदान में पहले वे कैडी का काम किया करते थे। कैडी यानी गोल्फर के पीछे चलते हुए उसका बैग संभालने वाला।
शुरुआती दिनों में उनका कोई कोच नहीं हुआ करता था। वे पहले सीनियर गोल्फर को खेलता हुआ देखते और फिर उनका अनुसरण करने का प्रयास किया करते। साथ ही उधार की किट से काम चलाया।
19 साल की उम्र में वे पेशेवर गोल्फर बने। आमतौर पर ऊंची कद-काठी के गोल्फरों के बीच एसएसपी अपने छोटे कद के कारण भी चर्चाओं में रहे हैं। महज 5 फीट 5 इंच ऊंचाई के कारण साथी गोल्फर उन्हें चिप्पुत्तसिया नाम से भी पुकारते हैं।
एसएसपी ने 2014 एशियन टूर के बाद अपने सरनेम में एक अक्षर का बदलाव करते हुए चौरसिया के ओ की जगह ए अक्षर कर लिया। इस तरह भर्रुचिजैच से भरचुचिजैच कर लिया। दरअसल उनके पासपोर्ट में भरचुचिजैच सरनेम ही पहले से दर्ज था।
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