बन्दुक से खेलने वाली लडकिया खेलेगी फुटबाल
महानगर में एक हफ्ते बाद एक अलग दृश्य देखने को मिलेगा। माओवादियों के गढ़ जंगल महल में एक समय हाथों में बंदूक थाम खून की होली खेलने वाली लड़कियों फुटबॉल खेलती हुई दिखाई देंगी।
माओवादी से फुटबॉलर बनीं ये लड़कियां कोलकाता महिला प्रीमियर फुटबॉल लीग में खेलेंगी। 30 मार्च से कोलकाता में शुरू होने वाले इस लीग में सरोजिनी नायडू क्लब नाम की टीम पहली बार हिस्सा ले रही है।
खास बात यह है कि इस क्लब की सभी 19 महिला फुटबॉलर एक समय माओवादी संगठन का हिस्सा थीं। ये सभी जंगल महल इलाके में ही रहती हैं।
आर्थिक रूप से बेहद गरीब आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखने वाली इन लड़कियों को एक समय दो वक्त की रोटी के लिए माओवादियों के गिरोह में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
माओवादियों के दबाव व आकर्षक लुभावने ऑफर के चक्कर में फंसकर इन लड़कियों को कुख्यात जंगलमहल के घने जंगलों में शरण लेनी पड़ी। उन्हें हथियार उठाने पड़ते थे।
2011 में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बनने पर जंगल महल में माओवादी गतिविधियां बंद हुई तो इन लड़कियों का नया जीवन शुरूहो गया।
पश्चिम बंगाल के मशहूर फुटबॉल कोच रत्ना नंदी व उनके पति रघु नंदी ने इन आदिवासी लड़कियों की पहचान बदल दी। इन लड़कियों को सामान्य जीवन में लाकर फुटबॉल की दुनिया में पहचान दिलाने का श्रेय नंदी दंपती को जाता है।
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