अंदाजा लगाना मुश्किल यह कोई खिलाड़ी है या मॉडलिंग गर्ल
कॉमनवेल्थ मेडल विजेता पहलवान गीता फोगाट सोमवार को इंदौर में थी। गीता एक निजी स्कूल में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंची थी। इस दौरान मल्टीकलर प्रिंटेड पलाजो, व्हाइट टॉप और गॉगल लगाए गीता को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा था कि यह कोई खिलाड़ी है या मॉडलिंग गर्ल।
‘बापू सेहत के लिए” गीत पर स्कूली विद्यार्थियों के साथ गीता डांस भी किया और विद्यालय की छात्रा नमामी जोशी के साथ कुश्ती के दांव-पेंच भी आजमाऐ। विद्यार्थियों के सवालों पर गीता फोगाट ने बेबाकी से अपनी बात रखते हुए कहा कि बचपन से आज तक के सफर में सफल खिलाड़ी बनने के लिए इतने डंडे खाए कि आज हम पहलवान बन गए।
कुश्ती के शुरुआती दिनों के बारे में बताते हुए गीता ने बताया कि जब वो और बबीता छोटे थे और उनके पापा ने कुश्ती के लिए कहा तो पहले एक माह में तो बड़ा मजा आया। लेकिन धीरे-धीरे यह सजा लगने लगा और फिर उसके 6-7 साल तक यह जी का जंजाल बन गया। लगता था कि न जाने क्यों हम पर इतना सितम हो रहा है। पर अब जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो लगता है कि जो तकलीफ हमने उठाई वह बहुत ही कम थी। मैडल और देश का नाम रौशन करने के लिए तो यह मेहनत भी कुछ नहीं।
मां से ज्यादा पिता का संघर्ष
मैंने महसूस किया कि मां से ज्यादा पिता का संघर्ष होता है। घर में एक पहलवान को तैयार करना ही मुश्किल होता है तो हमारे घर में पांच पहलवान तैयार हुए है। जहां तक सवाल हमारे सपने देखने का है तो इसका मौका तो हमें मिला ही नहीं और जब सपना देखने का मौका मिला तो बस गोल्ड मैडल पाने का ही सपना देखा।
कमजोर देश के काम का नहीं
फिल्म दंगल के बाद मुझे एक अलग पहचान मिली लेकिन इससे भी ज्यादा खुशी इस बात की है कि मेरे पिता को ज्यादा पहचान मिली। फिल्म आने के बाद अब पापा का सपना देश का सपना बन गया है। जहां तक बात सुंदरता की है तो मैं हाल ही में फेमिना मिस इंडिया में निर्णायक भी थी। वहां मैंने लड़कियों की खूबसूरती से ज्यादा उनकी ताकत को जोर दिया क्योंकि मेरा मानना है कि कमजोर लड़की देश के किसी काम की नहीं।
बच्चों के लिए सक्सेस मंत्र
बच्चों को यह नहीं पता होता है कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत। इसलिए वे अभिभावकों की बात मानें। अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को अनुशासन में रहना सिखाएं और उनका साथ दें । इसके लिए बच्चों को भी अभिभावकों का साथ देना चाहिए।
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