मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना में 10 हजार से अधिक प्रकरण बैंकों को प्रेषि

युवाओं को स्वयं के उद्योग-व्यवसाय शुरू करने में मदद के लिए विगत एक अप्रैल से लागू की गई मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना में अब तक 10 हजार से अधिक प्रकरण बैंकों को प्रेषित किए जा चुके हैं। योजना में 50 हजार युवा को सहायता देने का लक्ष्य है। यह लक्ष्य अभी तक शुरू की गई सभी स्व-रोजगार योजनाओं की तुलना में सबसे ज्यादा है। उद्योग आयुक्त श्री टी. धर्माराव ने बताया कि अभी तक 16 हजार 530 से ज्यादा प्रकरण प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 10 हजार 409 प्रकरण बैंकों को भेजे गए हैं। बैंकों द्वारा स्वीकृति और वितरण की प्रक्रिया जारी है।

योजना में सबसे ज्यादा 2749 प्रकरण इंदौर संभाग में बैंकों को भेजे गए हैं। जबलपुर 1677 प्रकरण से दूसरे, भोपाल 1369 प्रकरण के साथ तीसरे और ग्वालियर 1309 प्रकरण बैंकों को भेजकर चौथे क्रम पर है। मंदसौर, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, मुरैना, दमोह, जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिंगरोली, विदिशा, राजगढ़, इंदौर, खरगोन, धार, बड़वानी और झाबुआ जिलों में बहुत अच्छा काम हुआ है।

उद्योग आयुक्त ने धीमी प्रगति वाले जिलों को निर्देश दिए हैं कि वे काम में तेजी लायें और लक्ष्य की हर हालात में पूर्ति करें।

उल्लेखनीय है कि योजना का क्रियान्वयन ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा शहरी क्षेत्रों में वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग के माध्यम से किया जायेगा। इसका उद्देश्य सभी वर्ग के युवाओं को स्वयं का उद्योग, सेवा व्यवसाय स्थापित करने के लिये बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवाना है। हितग्राहियों को मार्जिन-मनी सहायता तथा ब्याज अनुदान की सुविधा दी जायेगी। योजना में आयु सीमा का कोई बंधन नहीं है। प्रचलित योजनाओं में निर्धारित अहर्ताओं के अनुसार हितग्राहियों को लाभान्वित किया जाता रहेगा। मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना में गारंटी शुल्क का भुगतान तथा ब्याज अनुदान जैसी विशिष्ट सुविधाएँ दी जायेगी। अतः प्रचलित योजनाओं के ऐसे हितग्राही, जो मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना का लाभ प्राप्त करने की पात्रता रखते हैं, उन्हें वर्तमान सुविधाओं के अतिरिक्त इस योजना की सुविधाएँ भी दी जायेंगी। आईटीआई, डिप्लोमा, इंजीनियरिंग, अन्य अधिकृत संस्थाओं द्वारा दिये गये माड्यूलर एम्प्लायबल स्किल्स प्रमाण-पत्र रखने वाले आवेदकों को प्राथमिकता दी जायेगी। साथ ही गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की सर्वे सूची में अंकित हितग्राहियों, अनुसूचित-जाति, जनजाति, निःशक्तजन और महिला हितग्राहियों के साथ-साथ उद्यमिता विकास कार्यक्रम में प्रशिक्षित हितग्राहियों को भी प्राथमिकता दी जायेगी।

वित्तीय सहायता के लिये दो तरह की श्रेणियाँ निर्धारित की गई हैं। एक श्रेणी में 50 हजार रुपये तक की परियोजना में तथा दूसरी श्रेणी में 50 हजार से अधिक और 25 लाख तक की परियोजनाओं के लिये सहायता दी जायेगी।

प्रथम श्रेणी में परियोजना लागत पर मार्जिन मनी सहायता 20 प्रतिशत (अधिकतम 10 हजार रुपये) होगी। परियोजना लागत पर ब्याज अनुदान 5 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष तक (2000 रुपये अधिकतम प्रतिवर्ष) दिया जायेगा। गारंटी शुल्क एक प्रतिशत की दर से अधिकतम 500 रुपये तथा गारंटी सेवा शुल्क 0.5 प्रतिशत की दर से (4 वर्ष के लिये) अधिकतम 1000 रुपये दी जायेगी।

दूसरी श्रेणी के हितग्राहियों को पूँजीगत लागत तथा कार्यशील पूँजी पर ब्याज अनुदान 5 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष तक देय होगा। गारंटी शुल्क 1 से 1.5 प्रतिशत, अधिकतम 37 हजार 500 रुपये दी जायेगी। गारंटी सेवा शुल्क (4 वर्ष के लिये) 0.5 से 0.75 प्रतिशत, अधिकतम 75 हजार रुपये दी जायेगी।

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