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कारोबारियों को राहत देने का ऐलान
कैशलेस इकोनॉमी को प्रमोट करने के लिए केंद्र सरकार ने छोटे कारोबारियों को राहत देने का ऐलान किया है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ाने के लिए छोटे कारोबारियों को सरकार राहत देने जा रही है।
इसके तहत जो कारोबारी कैशलेस कारोबार करेंगे उनके 2 करोड़ के टर्नओवर आय 12 लाख रुपए मानी जाएगी और उन्हें डिजिटल पेमेंट पर टैक्स में भी राहत मिलेगी। पहले यह टैक्स 8 प्रतिशत था। वहीं जो कारोबारी डिजिटल बिजनेस नहीं करते उनकी आय 18 लाख मानी जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि हमने कानून में बदलाव किया है और नोटबंदी के बाद डेबिट, क्रेडिट कार्ड के अलावा ई-वॉलेट का उपयोग तेजी से बढ़ा है। उन्होंने नोटबंदी पर कहा कि 8 नवंबर तक बाजार में 23 लाख करोड़ के कुल छपे हुए नोट थे जिनमें से 15.44 लाख करोड़ के नोट बंद हुए हैं।
इससे पहले वित्त मंत्री ने एक बार ही 5 हजार रुपए से ज्यादा जमा करवाने की शर्त को लेकर कहा था कि अगर आपके पास पुराने नोट हैं तो एक बार में जमा करवाने में क्या हर्ज है। इसे लेकर कोई सवाल नहीं होगा लेकिन बार-बार जमा करवाने पर सवाल पूछे जाएंगे।
चिकन कारीगरों की समस्या के समाधान की दिशा में थ्रेडक्राफ्ट इंडिया उपक्रम की शुरुआत
‘चिकनकारी’ कशीदाकारी की एक शैली है। कहा जाता है कि मुगल सम्राट जहांगीर की पत्नी, नूरजहाँ ने इस कारीगरी को प्रचलित किया था। कशीदाकारी की यह जटिल शैली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मशहूर है। लेकिन दूसरे लोक-कलाकारों की तरह ‘चिकनकारी’ करने वाले कारीगर भी कठिन आर्थिक कठिनाइयों से गुजर रहे हैं क्योंकि उनकी कारीगरी से होने वाली कमाई का अधिकांश हिस्सा दलाल और मध्यस्थ लूट ले जाते हैं।
चिकन कारीगरों की इसी समस्या के समाधान की दिशा में काम करते हुए मोहित वर्मा ने थ्रेडक्राफ्ट इंडिया (Threadcraft India) नाम से अपने उपक्रम की शुरुआत की, जो सीधे कारीगरों को साथ लेकर काम करता है और सुनिश्चित करता है कि वे ‘चिकनकारी’ के व्यापार से होने वाली कमाई का वाजिब हिस्सा पा सकें और साथ ही इस परंपरागत हुनर को संरक्षित किया जा सके।
लखनऊ में कंपनी का एक निर्माण केंद्र है, जिसमें 25 से अधिक महिलाओं को काम पर रखा गया है। महिलाओं के काम का निरीक्षण करने के लिए एक टीम लीडर भी है। कशीदाकारों या कारीगरों को घर से काम करने की छूट है या वे केंद्र आकर भी काम कर सकते हैं। क्रेता व्यापारियों और कारीगरों के बीच थ्रेडक्राफ्ट एक कड़ी के रूप में काम करता है। खरीदारों के आदेशानुसार कपड़ा खरीदा जाता है, फिर उसे रंगा जाता है, उस पर छपाई की जाती है, जिसके बाद चिकन की कढ़ाई के लिए कारीगरों के पास पहुँचाया जाता है। कढ़ाई के बाद कपड़ों को धोया जाता है और अंत में तैयार कपड़े पैक करके ग्राहकों को भेज दिए जाते हैं।
कारीगरों को नियमित रूप से एक निश्चित वेतन मिलता है। कंपनी की मदद से शुरुआत से अब तक, सिर्फ पाँच महीनों में कारीगरों की आमदनी दूनी हो चुकी है।
चिकन का काम बहुत जटिल और बारीक होने के कारण मुफ़्त आँखों की जाँच के कैंप लगाकर कारीगरों की आँखों की नियमित जाँच कराई जाती है। आवश्यक होने पर उन्हें मुफ़्त चश्मे भी उपलब्ध कराए जाते हैं। थ्रेडक्राफ्ट की इस छोटी सी विकास यात्रा में डी बी एस बैंक का लगातार सहयोग मिलता रहा है।
समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और ज़िम्मेदारी समझते हुए पिछले तीन सालों में डी बी एस बैंक ने थ्रेडक्राफ्ट जैसे तीस उद्यमों की सहायता की है। सम्पूर्ण एशिया में सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देकर और उन उद्यमों की मदद करके समाज को उसका देय वापस लौटाना ही डी बी एस बैंक के सामाजिक ज़िम्मेदारी निभाने के प्रयासों के मूल में है। भारत में डी बी एस बैंक ने TISS के साथ साझीदारी करते हुए DBS-TISS सामाजिक उद्यमिता कार्यक्रम (DBS-TISS Social Entrepreneurship Programme ) प्रारम्भ किया है, जहाँ वे इन सामाजिक उद्यमियों को न सिर्फ सीड फंड (नये उद्यम की स्थापना में लगाया जाने वाला धन) उपलब्ध कराते हैं बल्कि TISS द्वारा भेजे गए नए उद्यमियों की विभिन्न मौलिक परियोजनाओं के प्रतिपालक और परामर्शदाता (mentor) के रूप में भी अपना योगदान देते हैं। मोहित बताते हैं कि किसी भी नए उद्यमी के लिए पूंजी की व्यवस्था सबसे कठिन चुनौती होती है लेकिन डी बी एस बैंक की मदद से वे हाल ही में आई आर्थिक मंदी से भी निपटने में कामयाब हुए।
फिलहाल थ्रेडक्राफ्ट इंडिया के पास दो तरह के ग्राहक आते हैं-बुटीक और निर्यातक। यह मुंबई के कुछ बुटीकों और एक निर्यातक के साथ सहयोग के ज़रिए संभव हुआ है। बुटीकों से प्राप्त आदेशों को केंद्र में काम करने वाले चिकन-कारीगर पूरा करते हैं जब कि निर्यातकों के आदेशों को विश्वासपात्र दलालों को दिया जाता है, जो बिना कारीगरों का शोषण किए उन आदेशों को पूरा करवाते हैं। भारत स्थित डी बी एस बैंक ने आर्थिक रूप से और प्रतिपालक के रूप में लगातार इस उद्यम को सहयोग दिया है। बैंक उनका सलाहकार भी रहा है और उनके अधिकारी नियमित रूप से मीटिंग करके उपक्रम की कमियों की शिनाख्त करते हैं और उन्हें दूर करने हेतु उपयोगी सलाह भी देते हैं।
चुनौतियाँ और भविष्य की योजनाएँ
क्योंकि थ्रेडक्राफ्ट इंडिया के ज़्यादातर उपभोक्ता समाज के उच्च वर्ग से आते हैं और उच्च कोटि के काम की अपेक्षा रखते हैं, इसलिए उसे कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। पूंजी निवेश एक मुख्य चिंता है क्योंकि उनकी आमदनी बुटीकों और निर्यातकों पर निर्भर करती है, जब कि चिकन के काम की निर्माण-लागत काफी ज़्यादा होती है। दूसरी चुनौती है-अच्छे कारीगरों की कमी, जिन्हें खोजना और साथ काम करने के लिए राज़ी करना टेढ़ीखीर होता है। “यह उद्योग इतना संतृप्त हो चुका है कि यहाँ बड़े परिवर्तनों की संभावना बहुत कम है। लेकिन, धीरे-धीरे चीज़ें बदल भी सकती हैं,” मोहित कहते हैं।
चुनौतियों को मोहित ज़िन्दगी का अटूट हिस्सा मानते हैं और इस उपक्रम को स्व-सहायता समूह में रूपांतरित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। वे उसे ऐसे एन जी ओज़ से भी जोड़ना चाहते हैं, जो पहले ही स्व-सहायता समूहों से सम्बद्ध हों। अंततोगत्वा, वे आशा करते हैं कि इन उत्पादों को स्वयं निर्यात कर सकें, जिससे उपक्रम से होने वाले लाभों को कारीगरों के साथ और भी बेहतर तरीके से साझा कर सकें।
यूरोपीय केंद्रीय बैंक की तर्ज पर है 500 और 1000 के नोटों पर लगाया प्रतिबंध
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा, है कि ‘अर्थव्यवस्था में गतिविधियों के स्तर पर लघु अवधि में कुछ असर होगा, लेकिन एक बार नए करेंसी नोटों की आपूर्ति पर्याप्त होने के बाद बाजार स्थिर होगा और गतिविधियों का स्तर भी बढ़ेगा।’ पुराने करेंसी नोटों को बैंकों में 30 दिसंबर तक जमा कराया जा सकता है। छोटे नोटों की निकासी की जा सकती है, हालांकि इसमें कुछ अंकुश रहेंगे।
एक बैंक खाते से एक दिन में 10,000 रुपये या सप्ताह में 20,000 रुपये या एटीएम से एक दिन में 2,000 रुपये निकाले जा सकते हैं।
अधिया ने कहा, ‘शुरुआत में निकासी पर कुछ अंकुश रहेगा। लेकिन 2,000 और 500 के नए नोटों की आपूर्ति में सुधार के बाद जल्द से जल्द इस मामले में कुछ राहत दी जाएगी। ऐसे में समय के साथ लोगों को राहत मिलेगी। ऊंचे मूल्य के नोटों को हटाने का काम इससे पहले 1978 में किया गया था। उस समय 10,000, 5000 और 1000 के नोटों को हटाया गया था। यह उस समय चलन में मौजूद कुल करेंसी का सिर्फ दो प्रतिशत था। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। 500 और 1000 के नोटों का मूल्य 85 प्रतिशत है। यह एक काफी बड़ा फैसला है। इससे कालेधन पर अंकुश को लेकर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।’ ढेर सारा ऐसा धन जो बेकार पड़ा है, औपचारिक अर्थव्यवस्था में आएगा। बैंकों को काफी जमा मिलेगा। इस राशि का इस्तेमाल देश के आर्थिक विकास के लिए उत्पादक कार्यों में किया जा सकेगा।
इस कदम के पीछे की वजह बताते हुए अधिया ने कहा कि इसका मकसद छद्म अर्थव्यवस्था को समाप्त करना है।
यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने भी गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए 500 यूरो का नोट बंद किया था। यह कदम कुछ इसी तर्ज पर है। इससे काले धन और चोरी को रोकने में मदद मिलेगी।
वर्ष 1978 के बाद यह पहला अवसर है जबकि सरकार ने चलन में मौजूद करेंसी को वापस लिया है।
अधिया ने कहा, ‘‘इससे एक और अच्छी बात यह होगी कि नकदी की कमी की वजह से लोग अब प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल करेंगे और वे बैंकों के जरिये अधिक लेनदेन करेंगे। वे चेक का इस्तेमाल करेंगे और ऑनलाइन धन स्थानांतरण को तरजीह देंगे।’
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इससे लोगों को इन तरीकों का इस्तेमाल करने का दबाव बढ़ेगा। इसके दीर्घावधि के फायदे हैं। अंतत: लोग नकदी का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करेंगे।बेहतर सुरक्षा फीचर्स वाले नए 500 और 2000 के नोटों की आपूर्ति बढ़ने के बाद नकदी निकासी की सीमा बढ़ाई जाएगी। सरकार ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इसके अलावा छोटे मूल्य के नोटों का भंडार भी बढ़ाया जाएगा। सरकार ने कल कालेधन पर अंकुश के इरादे से 500 और 1000 के नोटों पर प्रतिबंध लगाया था। इस कदम से औपचारिक अर्थव्यवस्था में काफी ऐसा धन आएगा जो अभी बेकार या निष्क्रिय पड़ा है। जिसका इस्तेमाल देश के विकास के लिए किया जा सकेगा।
शेयर बाजार पर भारी पड़ सकता है सरकार का फैसला, पढ़िए एक्सपर्ट का नजरिया
केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपए के नोट बंद किए जाने के बाद बुधवार का कारोबारी सत्र भारतीय शेयर बाजार के लिहाज से बड़े उतार-चढ़ाव वाले होगा। एक्सपर्ट का मानना है कि बुधवार की शाम तक जो ट्रेडर्स अमेरिका में होने वाले चुनाव पर नजर लगाए बैठे थे उनकी दिलचस्पी अब सरकार के इस फैसले पर बाजार की प्रतिक्रिया जानने की होगी। ऐसे में बाजार का सत्र उथल-पुथल वाला होगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।
भारत, एक बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह आगे बढ़ा हैः अरुण जेटली
नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में प्राथमिकता देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि केंद्र भारत में अधिक निवेश के लिए सुधारों पर काम करेगा। भारत-ब्रिटेन टेक समिट में बोलते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत संरक्षणवाद की मांग नहीं रही क्योंकि अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी है।
इस मौके पर उन्होंने ये भी बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत ये रही है कि वो अभी भी किसी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह आगे बढ़ रही है। लेकिन हम अभी भी इससे संतुष्ट नहीं हैं। हम इसको और आगे लेकर जाना चाहते हैं।
उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि पिछले सात दशकों बाद ऐसा हुआ है कि भारत की आवाज को दुनिया भर में सुना जा रहा है और लोग ध्यान भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी हमें बहुत आगे बढ़ने की जरूरत है और इसके लिए निवेश को बढ़ाने, विनिर्माण क्षेत्र में अधिक विस्तार और तेजी से बुनियादी ढांचे की भरने की जरूरत है।
वित्त मंत्री ने कहा कि पहले कई अवसर गंवा दिए गए लेकिन अब ऐसा नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि यूरोपियन यूनियन को छोड़ने के बाद ब्रिटेन यूरोप के बाहर निवेश करना चाहता है तो ऐसे में भारत ब्रिटेन का अच्छा साथी बनकर सामने आ सकता है।
भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत 40.33 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रही
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीनस्थ पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) द्वारा आज संगणित/प्रकाशित सूचना के अनुसार भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत 01.08.2016 को 40.33 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल दर्ज की गई। यह 29.07.2016 को दर्ज कीमत 39.90 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा है।
भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत 46.11 अमेरिकी डॉलर रही
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) द्वारा आज संगणित/प्रकाशित सूचना के अनुसार भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत 24.6.2016 को 46.11 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल दर्ज की गई। यह 23.06.2016 को दर्ज दर 47.26 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से अधिक थी।
बम्बई शेयर बाजार में आज उतार-चढ़ाव जारी है।
बम्बई शेयर बाजार में आज उतार-चढ़ाव जारी है। अब से थोड़ी देर पहले सेन्सेक्स नौ अंक की गिरावट के साथ 26 हजार 834 पर था। शुरूआती कारोबार में यह शुक्रवार के बन्द स्तर से 58 अंक चढ़कर 26 हजार 901 पर खुला था।
बिना सबसिडी वाली रसोई गैस का मूल्य आज से 21 रूपये प्रति सिलेंडर बढ़ा
बिना सबसिडी वाली रसोई गैस का मूल्य आज से 21 रूपये प्रति सिलेंडर बढ़ा दिया गया है। अब यह गैस दिल्ली में 548 रूपये 50 पैसे प्रति सिलेंडर मिलेगी।
बम्बई शेयर बाजार में मजबूती का रूख है।
बम्बई शेयर बाजार में मजबूती का रूख है। तीसरे पहर के कारोबार में सेन्सेक्स 87 अंक की वृद्धि के साथ 26 हजार 755 पर आ गया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 26 अंक की वृद्धि के साथ 8 हजार 186 पर आ गया।